*👌कमाल है ना!...👌*
*आँखे तालाब नहीं, फिर भी,*
*भर आती है!*
*दुश्मनी बीज नही, फिर भी, बोयी जाती है!*
*होठ कपड़ा नही, फिर भी, सिल जाते है!*
*किस्मत सखी नहीं, फिर भी, रुठ जाती है!*
*बुद्वि लोहा नही, फिर भी, जंग लग जाती है!*
*आत्मसम्मान शरीर नहीं, फिर भी, घायल हो जाता है!
और..,*
*इन्सान मौसम नही, फिर भी, बदल जाता है!....*
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