21 يونيو 2017

कडवा है पर है तो सच...

राजपूत के दो आगे राजपूत,
राजपूत के दो पीछे राजपूत,
बढ ना पाये तीनों राजपूत।
कुंठित रह गये भीतर-भीतर।
बढ ना जाये अगला राजपूत,
खींच रहा है पिछला राजपूत।
बाहर खूब दिखावा करते,
कुढ़ते रहते भीतर भीतर।
जहां खड़ा था पहला राजपूत।
वही खड़ा हैं अब भी राजपूत।
भारत का दुर्भाग्य देखिये।
सुधर नहीं पाते हैं राजपूत।
अन्य जातियाँ हो गयीं आगे।
एक नहीं हो पाये राजपूत।

🙏 जय भवानी 🙏

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